Infections of covid-19: भारत में कोरोना वायरस महामारी ने चारों तरफ अपना पैर जमा रखा है कोरोना वायरस के बढ़ते मामले हर दिन लोगों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं. प्रतिदिन देश में दो से तीन लाख से भी ज्यादा कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं. कोरोना वायरस महामारी ने हर तरफ अपना कोहराम मचा रखा है
जिसके चलते सरकार भी संकट में नजर आ रही है लेकिन इस बीमारी में कुछ लोगों ने कोरोना के खिलाफ जंग जीती हैं तो कुछ लोगों ने अपनों को खो दिया है. कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर अब 41,61,676 हो गई है. साथ ही 34,04,792 लोग रिकवर हो चुके हैं और 63,252 मरीजों की जान इस बीमारी के कारण जा चुकी है.

आपका बता दे covid-19 से ठीक हो चुके लोगों में वायरस का पता चलने के बाद के छह महीनों मेंं उनके लिए मौत का जोखिम ज्यादा रहता है. इनमें वह लोग भी शामिल हो सकते हैं जिन्हें कोरोना की चपेट में होने के बाद भर्ती करने की जरूरत न पड़ी हो. कोविड-19 के बारे में यह जानकारी अब तक के सबसे व्यापक अध्ययन में सामने आई है. गुरुवार को नेचर पत्रिका में प्रकाशित शोध में अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि इस बीमारी के कारण आने वाले सालों में पूरी दुनिया की आबादी पर एक बड़ा बोझ पड़ने वाला है.
अमेरिका में वॉशिंगटन विश्वविद्याल में स्कूल ऑफ मेडिसिन के अध्ययनकर्ताओं ने कोरोना वायरस से संबद्ध विभिन्न बीमारियों की एक सूची भी उपलब्ध कराई है जिससे यह पता चलता है कि महामारी के कारण लंबे समय में लोगों के लिए बनने वाली परेशानियों की एक बड़ी तस्वीर भी उभरती हुई नजर आएगी.

Infections of covid-19:कोरोना वायरस से उभरे मरीजों को है ज्यादा देखभाल की जरूरत
चिकित्सकों को उन मरीजों की जांच करते हुए निश्चित रूप से सजग रहना चाहिए जो लोग कोरोना वायरस की चपेट में आकर ठीक हो गए हैं. इन सभी मरीजों को एकीकृत, बहुविषयक देखभाल की काफी जरूरत है. मरीजों से बातचीत के आधार पर शोधकर्ताओं ने पहली नजर में सामने आए मामलों और लघु अध्ययनों से मिले संकेतों की गणना करी जिनमें कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों में इसके अलग-अलग तरह के दुष्प्रभाव सामने आए हो. शोधकर्ताओं ने बताया कि इन (Infections)दुष्प्रभावों में अनियमित दिल की धड़कन, सांस की समस्या, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और बालों का गिरना शामिल हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना वायरस के शुरुआती संक्रमण से ठीक होने के बाद- बीमारी के पहले 30 दिनों के बाद कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों में आम आबादी के मुकाबले अगले छह महीनों तक मौत का जोखिम 60 प्रतिशत तक ज्यादा होता है इसलिए उनको बहुत ही अपनी देखभाल की जरूरत है. शोधकर्ताओं ने बताया कि छह महीने की सीमा तक, कोरोना वायरस से ठीक हुए सभी लोगों में प्रति 1000 मरीजों पर अधिक मौत के आठ मामले सामने आते हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कुछ ऐसे भी मर्जी से जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है और इस बीमारी के शुरुआत के 30 दिन में ठीक भी हो जाते हैं.