
उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायालय में लिखित में पुनः जाँच जो 24.2.2020 को प्रारम्भ की थी उसको वापस ले लिया है और जो जांच अधिकारी मुख्य सचिव श्री हिमांशु कुमार ने 15/04/19 को जांच का निष्कर्ष निकाला था उस को ही स्वीकार कर लिया है जिसमें जांच अधिकारी ने कहा था 1- डॉक्टर कफ़ील खान सबसे जूनियर डॉक्टर थे ।
बी॰आर॰डी॰ मेडिकल कॉलेज में प्रोबेशन पर 08/08/16 को उनकी नियुक्ति हुई थी |2- 10/08/17 को छुट्टी पर होने के बावजूद वह निर्दोष बच्चों की जान बचाने के लिए बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज गोरखपुर पहुंचे और अपनी टीम के साथ, उन 54 घंटों में 500 सिलेंडरों की व्यवस्था करने में कामयाब रहे ।

3. उन्होंने उस भयावह रात को 26 लोगों को फोन किया था ।पूछताछ ने इस बात पर भी सहमति जताई है कि उन्होंने अपनी पूरी क्षमता से हर संभव प्रयास किया था जिसमें बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज के सभी अधिकारियों के साथ किए गए फोन कॉल भी शामिल थे ।4- डॉक्टर कफ़ील का भ्रष्टाचार में संलिप्तता का कोई सबूत नहीं है | 5- वह ऑक्सीजन आपूर्ति के भुगतान / आदेश / निविदा / रख-रखाव के लिए जिम्मेदार नहीं थे | 6- वह इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रमुख नहीं थे | 7- इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वह 08/08/16 के बाद निजी प्रैक्टिस कर रहे थे |8