घुमक्कड़ी में संयोग का बड़ा महत्व होता है समय आदि सुविधाओं की उपलब्धता होने के बावजूद घुमक्कड़ी मुश्किल से ही हो पाती है शायद इसीलिए कहते है कि “घुमक्कड़ी किस्मत से मिलती है”
कभी कभी मैं अकेले रहना पसंद करता हूँ खासकर जब मेंरे पास खाने की मनपसंद गोभी के पराठे जैसी चीज हो सन 1822 में ईस्ट इंडिया कम्पनी के डा० जेम्सन ने सर्वप्रथम सहारनपुर बगीचे में उगाया था गोभी का फूल अनुमान लगाया जाता है कि उसके बाद गोभी सारे भारत में फ़ैल गयी गोभी उत्तराखंड की पहाड़ियों में नहीं उगाई जाती थी किन्तु भाभर क्षेत्र में गोभी ने कृषि में आर्थिक क्रान्ति लायी।

उत्तराखण्ड कि घुमक्कड़ी के दौरान
एक ढाबे पर रुक कर खेत से ताजी गोभी तोड़ कर पराठे का स्वाद न लिया जाए तो लगता है कुछ अधूरा रह गया है

गोभी के पराठे लोकपिय व्यंजन है। भारत में गोभी का आगमन मुगल काल में हुआ था एसा माना जाता है गोभी शरद ऋतु की लोकप्रिय सब्जी है इसके फूल को पकाकर स्वादिष्ट सब्जी तैयार की जाती है गोभी की कोमल और मुलायम पत्तियों में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम और आयरन पाया जाता है

ख्याति के अनुरूप गोभी के पराठे ने वास्तव मे मन मोह लिया आज सर्द रविवार होने के कारण भीड़ कुछ अधिक ही थी लेकिन आज
दही और देसी मक्खन के साथ गोभी के पराठे बाद में चाय भी अगली बार आने का आमंत्रण लेकर रहा हूँ और फिर संयोग यहां पहुंचा ही देगा कुछ तस्वीरें आप भी देखें