महाराष्ट्र की राजधानी:———आज हम आपको महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के बारे में बताने जा रहे हैं, जानिया मुंबई का इतिहास
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक और लोकप्रिय है. मुंबई 603 स्क्वायर किलोमीटर की जमीन पर बनी हुई है जहां पर तकरीबन दो करोड़ से भी ज्यादा लोग रहते हैं. आपको बता दें महाराष्ट्र की राजधानी माया नगरी मुंबई को बहुत ही मेहनत और कठिन परिश्रम से बनाया गया है.
मुंबई जिस जमीन पर मौजूद है उस जमीन पर मुंबई को खड़ा करने के लिए ना तो सिर्फ भारतीय लोग बल्कि कई बाहरी शक्तियों ने भी खूब मेहनत करी थी. आज का जो मुंबई है वह पहले बिल्कुल भी ऐसा नहीं था पहले मुंबई छोटे-छोटे टापू यानी आईलैंड (Island) में बटा हुआ था.

तो आज की इस न्यूज़ में हम आपको बताएंगे कैसे इन अलग-अलग टापू (Island) को जोड़ा गया, कौन-कौन से वह टापू थे, किन-किन लोगों इन टापूओं जोड़ने में मदद करी, जानने के लिए आगे पढ़े मुंबई का इतिहास कैसे खड़ा हुआ…..
आपको बता दें आज का जो मुंबई है वह पहले अलग-अलग साथ टापू में बना हुआ था. Mahim, parel, worli, mazagaon, bombay, colaba, little colaba.. इन सात टापू को मिलाकर आज का मुंबई बनाया गया है, यह सात टापू एक दूसरे से बिल्कुल भी मिले हुए नहीं थे इसलिए यहां पर आना जाना काफी मुश्किल था क्योंकि हर टापू के चारों तरफ समुद्र का पानी ही पानी था और यह बात आजकल की नहीं है कि हम उस पर bridge बनाकर लोगों के लिए आने जाने में आसानी कर दे बल्कि इसका एक लंबा इतिहास है.
कुछ साल पहले मुंबई के कंदीवाली (kandivali) के पास उत्तरी मुंबई में मिले प्राचीन अवशेषों से पता चलता है कि यह देव समूह पाषाण युग से बसा हुआ है. यहां पर मानव अवादी के लिखित प्रमाण 2300 साल पुराने मिले हैं जब इसे HAPTANESIA कहा जाता था फिर तीसरी शताब्दी (third century) में यह समूह mauryan empire का भाग बने उस समय सम्राट अशोक का राज था।

इसके बाद कुछ समय के लिए मुंबई का नियंत्रण satvahana empire और बाद में हिंदू सिलहर वंश के राजाओं ने मुंबई पर 1343 तक राज करा था फिर गुजरात के राजा बहादुर शाह ने इस पर अधिकार कर लिया था जिसके बाद यूरोपियन लोगोंं ने भारत में प्रवेेश हुआ जिसमें पुर्तगाली (portuguese) ने गुजरात के राजा बहादुर शाह से इन टापूओं को हत्या लिया.
पुर्तगालियों ने इसके बाद हिमायू और बहादुर शाह के साथ मिलकर treaty of bassein sign करा. अब पुर्तगालियों के हाथों में यह 7 टापू जाने के बाद इन टापुओं का नक्शा बदलना शुरू हो गया. उनका आगमन मुंबई शहर के इतिहास में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हुआ.

जानिए 7 टापू के बारे में…..
सबसे सबसे पहले आता है Colaba आईलैंड. कोलाबा का मतलब है कोली समुदाय की जगह यानी की कोली मछुआरों को कहा जाता है. दूसरा आईलैंड है लिटिल कोलाबा ( little Colaba ) यह आज के कोलाबा के उत्तर में था. इस टापू को पहले Al-omani भी कहते थे क्योंकि यहां के मछुआरे मछली की तलाश के लिए Oman जाते थे. तीसरा टापू है मुंबई टापू (Bombay island) यह टापू मुंबई का सबसे पुराना टापू है जिसका जिक्र mauryan history मे भी मिलेगा जो आज के डोंगरी से लेकर मालाबार हिल तक फैला हुआ था. इसके बाद चौथा टापू आता है मजगांव (Mazgaon) आज के दक्षिण मुंबई का ज्यादातर हिस्सा मजगांव की ही देन है
मजगांव को मछली पकड़ने के गांव के नाम सेे जाना जाता था. 17th century के अंत तक मजगांव मुंबई शहर के शुरुआती शक्ल ले चुका था यानी 300 साल पहले इस टापू पर मुंबई ने जन्म ले लिया था.इसके बाद पांचवा आईलैंड आता है वर्ली (worli) वर्ली का टापू एक वह हिस्सा है जहां आज हाजी अली की दरगाह है हालांकि इसका मुंबई शहर से जोड़ना एक लंबे समय बाद साल 1784 में हुआ था. इसके बाद छटा टापू है परेल (parel) इतिहास के मुताबिक 13th century मे यह टापू राजा भीमदेव के कब्जे में था जिसके बाद पुर्तगालियों ने इस पर कब्जा कर लिया.
इसके बाद आखरी और सातवां टापू है माहिम (mahim) पहले इस टापू को mahjim या फिर mehzambu के नाम से जाना जाता था. 13th century मे राजा प्रेम देव के शासन में यह उसकी राजधानी मानी जाती. बाद में इस पर मुस्लिम शासन नेे कब्जा और फिर यह टापू पुर्तगालियों के हाथ लग गया जिन्होंने इसे अंग्रेजों को सौंप दिया था.

जिस समय पुर्तगालियों लोग इन सात आईलैंड पर राज कर रहे थे उस समय अंग्रेजों का पूरे भारत पर कब्जे का प्रयास चल रहा था जिसके लिए अंग्रेजों को इन सात टापुओं की भी जरूरत थी. अंग्रेज अपनी हर एक मुमकिन कोशिश कर रहे थे कि कैसे इन साथ आईलैंड पर कब्जा करा जाए. इसके बाद मुंबई के यह सात आईलैंड इंग्लैंड के राजकुमार के हाथ लग गए थे राजकुमार को इस बात का अंदाजा भी नहीं था

ईस्ट इंडिया कंपनी ने धीरे-धीरे इन सातों आईलैंड को जोड़ दिया और उस समय एक ऐसा दौर था जब सातों आईलैंड पर अगर कोई सबसे बड़ी समस्या थी तो वे थी एक के बाद एक आने वाली बीमारियां.ईस्ट इंडिया कंपनी ने धीरे-धीरे इन बीमारियों पर भी काबू पा लिया उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी गुजरात के सूरत शहर में थी जिसका बात साल 1687 में ईस्ट इंडिया कंपनी मुंबई में आ पहुंची उस समय इस इलाके का नाम मुंबई प्रोविंस हो या करता था.
ईस्ट इंडिया कंपनी का headquarter मुंबई में दाखिल होते ही यहां पर आर्थिक गतिविधियां भी शुरू हो गई थी जिस वजह से यहां पर आबादी भी तेजी से बढ़ने लगी थी. तेजी से आबादी बढ़ने की वजह से कोई प्राइवेट और सरकारी कंपनी इसको अपना ऑफिस और फैक्ट्री होने के लिए जमीन की जरूरत पड़ने लगी. जमीन की इस कमी को पूरा करने के लिए अंग्रेज सरकार ने इन सात आईलैंड को जोड़नेे का फैसला लिया. इन आईलैंड को जोड़ने का प्रोजेक्ट साल 1708 में जाकर मुमकिन हुआ. Mahim और Sion के बीच एक पक्की सड़क बनाई गई फिर साल 1772 में सेंट्रल मुंबई में आने वाली समस्याओं को टैकल करने के लिए महालक्ष्मी और वर्ली को जोड़ा गया.
अब इन सात आईलैंड के बीच समुद्र का पानी काम गहरा था जिस वजह से अंग्रेज सरकार ने इन सात आईलैंड के बीच पानी में एक नई जमीन बनाने का निर्णय लिया. इस पूरी प्रक्रिया में बहुत मेहनत लगी, जहां पर पानी गहरा था वहां पर पुश्ते बनाए गए हैं, पहाड़ियों को संदल करा गया, दलदल इलाकों मैं मलवा उन्हें पक्का बनाया गया, इन सात आईलैंड की दरारों और समुद्र में खाली जगह को पत्थर और ठोस मटेरियल से भरा गया.

इसके अलावा और भी कई काम करवाए गए थे. इस प्रोजेक्ट को hernby vellard के नाम से जाना जाता है और इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में 150 साल से भी ज्यादा का समय लगा. जिसके बाद आखिर में साल 1845 में मुंबई के इन सातों आईलैंड को जोड़ दिया गया.
इन सातों आईलैंड के जुड़ने के बाद 19 वीं सदी के खत्म होते-होते मुंबई एक खूबसूरत शहर का रूप ले चुका था. 20 वीं सदी की शुरुआत में ही मुंबई की जनसंख्या 10 लाख तक पहुंच गए थी. उस समय कोलकाता के बाद मुंबई आबादी में भारत का दूसरा सबसे बड़ा शहर बन गया था जिसके बाद साल 1995 में मुंबई का नाम बदलकर मुंबई कर दिया गया.