शेरकोट (अदनान राईन) जामा मस्जिद के इमाम व ख़तीब एवं शहर क़ाज़ी मुफ़्ती मुहम्मद ज़की एजाज़ ख़ान क़ासमी देवबंदी ने बयान जारी कर कहा कि यह ज़िल्हिज्जा का महीना इबादतों का महीना है, इसमें रोज़े, हज और क़ुर्बानी के ज़रिए अल्लाह को राज़ी किया जाता है । उन्होंने मुसलमानों से ख़ास तौर पर आने वाले मंगलवार, 20 जुलाई को रोज़ा रखने की अपील की है । इसी के साथ उन्होंने बतलाया कि ईद उल अज़्हा का त्योहार आपसी भाईचारे, मोहब्बत और हमदर्दी का सबक़ देता है । इस मौके पर सिर्फ़ जानवर की क़ुर्बानी ही नहीं की जाती बल्कि इंसानियत और मुल्क व मज़हब के ख़िलाफ़ हर सोच व नज़रिये को क़ुर्बान किया जाता है । इसका अस्ल मक़सद यह याद दिलाना है कि सच्चा मुसलमान दूसरों के प्यार और काम आने के लिए अपने जज़्बात और जान माल की क़ुर्बानी दे देता है ।उन्होंने यह भी कहा कि इस्लाम धर्म देशहित में त्याग और तपस्या का हितकारी है और मानवता के लिए संपूर्ण समर्पित है ।इस मौक़े पर उन्होंने मुसलमानों से ख़ास तौर पर अपील की है की क़ुर्बानी में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें क्योंकि इन दिनों में अल्लाह त्आला को क़ुर्बानी से ज़्यादा कोई अमल पसंद नहीं है । साथ ही उन्होंने मुसलमानों से यह भी अहवान लिया कि जिन परिवारों ने कोरोना कॉल में अपने सदस्यों को खोया है तो उनकी पूर्ण रूप से सहायता करना हमारी ज़िम्मेदारी है । हमारा यह भी फ़र्ज़ बनता है कि कोविड-19 के मद्देनज़र अपनी व तमाम देशवासियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें, हर तरह से एहतियात बरतें । जानवरों को सार्वजनिक स्थानों एवं सामूहिक रास्तों पर क़ुर्बान ना करें । साफ़ सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखें । जानवर के अवशेषों एवं गंदगी को सड़क या नालियों में बिलकुल न छोड़ें बल्कि एक तरफ़ दफ़ना दें । नगर पालिका परिषद के सफ़ाई कर्मचारियों का विशेष रूप से सहयोग करें ।शहर क़ाज़ी ने शहरवासियों की तरफ़ से शासन – प्रशासन का सहयोग करने के आश्वासन के साथ तमाम नगर एवं देशवासियों को ईद उल अज़्हा की पेशगी दिली मुबारकबाद भी दी ।