नगीना में मुगलों के जमाने की बनी शहर की जामा मस्जिद
अब तक मैंने नगीना के इतिहास और खासियत के बारे में आपको बताया था। अब उस खास चीज का जिक्र करने जा रहा हूं जिस कि वजह से नगीना वासियो का सर ऊंचा करने का मौका मिल गया।

यूं तो यहां नगीना मे बहुत सी पुरानी इमारतें इमामबाड़ा बारादरी दारुलशफा व पुराने गेट हैं जिनका काफी महत्व है। इनमें से एक है नगीना में मुगलों के जमाने की बनी शहर की जामा मस्जिद। इस मस्जिद की तामीर भी मुगल बादशाह मुअज्जम शाह ने ही करवाई थी। थाने कर नजदीक बनी यह मस्जिद तकरीबन 300 वर्ष से ज्यादा पुरानी है और सबको अटै्रक्ट करती है यह मस्जिद मुगलिया दौर में बनी थी यह मस्जिद मुगल बादशाह औरंगजेब के दूसरे बेटे मुअज्जम शाह ने तामीर कराई थी।

इसकी तामीर सूबेदार सैय्यद आले इमरान जवाहरलाल नेहरू के सहपाठी रहे के दादा की निगरानी में की गयी थी उस समय नगीना मे सैय्यद रियासत हुआ करती थी इस मस्जिद की खास बात यह है कि इसकी बुनियाद काफी चौड़ी बनाई गई थी जोकि इमामबाडे के आगे तक फैली हुई है। इसकी वजह से सैकड़ों बरस बाद भी यह यूं ही खड़ी है जामा मस्जिद में पहले दो बुलंद मीनारें और थीं मगर उस समय नगीना में आए जलजले में एक मीनार गिर गई। इसके बाद जामा मस्जिद कमेटी के मेंबर्स ने मीटिंग की, ओ जिसमें यह तय हुआ कि दूसरी मीनार भी काफी कमजोर हो चुकी है, इसे भी हटवा दिया जाए।

जिसके बाद दूसरी मीनार को भी गिरी हुई मीनार के बराबर तोड़ दिया गया और दोनों मीनारें बराबर कर दी गई। मस्जिद की दीवारें चौड़ी होने की वजह से गिरी तो नहीं थी लेकिन इसमें भी दरारें आ गई जामा मस्जिद में नमाजियों की बात करें तो इसमें काफी जगह है। आम दिनों में जहां जुमे की नमाज में 1000 से 1200 लोग नमाज अदा करते हैं, वहीं दूसरी ओर खास दिनों जैसे ईद बकरीद अलविदा में मस्जिद के अंदर, छतों पर और बाहर मिलाकर तकरीबन 1500 से ज्यादा लोग नमाज अदा करते हैं।

इसमें एंट्री के लिए दरवाजा थाने की ओर बना हुआ है। मस्जिद के इर्द- गिर्द बाजार है।मुअज्जम शाह का जन्म बुरहानपुर में हुआ । बहादुर शाह प्रथम सातवे मुगल बादशाह थे। शहजादा मुअज्जम कहलाने वाले बादशाह औरंगजेब के दूसरे पुत्र थे। पूरा नाम साहिब -ए-कुरआन मुअज्जम शाह आलमगीर सानी अबु नासिर सैयद कुतुबुद्दीन अबुल मुहम्मद मुअज्जम शाह आलम बहादुर शाह प्रथम बादशाह गाजी यखुल्द मंजिलद् था। इनका राज्यभिषेक 19 जून 1707 को दिल्ली में हुआ। शासन काल 22 मार्च 1707 से 27 फरवरी 1712 तक रहा। इनके शासन काल में मुगल सीमा उत्तर और मध्य भारत तक फैली थी। शासन अवधि 5 वर्ष रही। 68 साल की उम्र में इनका इंतेकाल हुआ।

उत्तराधिकारी बहादर शाह जफर हुये। इनके आठ पुत्र ओर एक पुत्री थे। अपने पिता के भाई और प्रतिद्वंद्वी शाहशुजा के साथ बड़े भाई के मिल जाने के बाद शहजादा मुअज्जम ही औरंगजेग के संभावी उत्तराधिकारी थे। बहादुर शाह प्रथम को शाहआलम प्रथम या आलमशाह प्रथम के नाम से जाना जाता है। बादशाह बहादुर शाह प्रथम के चार पुत्र थे जहांदारशाह अजीमुश्शान रफीउश्शान और जहानशाह।इस जामा मस्जिद के निर्माण के साथ ही इस साल इन्होंने सिल्वर का सिक्का भी चालू कराया। इसके अलावा इन्होंने दिल्ली की मोती मस्जिद भी बनवायी थी मुगल शासक औरंगजेब के बाद जो भी मुगल शासक बने वे ज्यादा योग्य नहीं थे इसलिए मुगल साम्राज्य का पतन प्रारभ होता चला गया समस्त जानकारिया HISTORY OF THE MOGHUL EMPIRE से ली गयी है।

प्रस्तुति- तैय्यब अली