बिजनौर घूमने के लिहाज से इतनी शानदार जगह है कि बिजनौर के प्रवेश द्वार बैराज से लेकर चारो दिशाओ तक आपको कुछ न कुछ अलग देखने को मिल ही जाता है लेकिन जब हम कहीं घूमने का प्लान करने लगते हैं तो जहन में सिर्फ कुछ ही जगहों का ख्याल आता है जैसे जिम कॉर्बेट हरिद्वार देहरादून मसूरी नैनीताल रामनगर हल्द्वानी लेकिन इन जगहो पर जाते हुए हम कुछ भूल जाते हैं जैसे एतिहासिक जनपद बिजनौर जब भी मैं अपने दोस्तों को कहता हूं कि चलो मेरे साथ बिजनौर कि घुमक्कड़ी करते हैं तो सबका लगभग एक जैसा ही रिएक्शन होता है कि बिजनौर मे एसा है ही क्या?

ऐसा शायद इसलिए है कि यहाँ के पर्यटन विभान ने ये नहीं कहा कि ‘कुछ दिन तो गुजारो बिजनौर में’ ना ही उन्होंने ये कहा कि ‘पधारो हमारे बिजनौर में’ किसी के लिए बिजमौर सिर्फ बथुए का साग या गुड मट्ठा खाए जाने की जगह है तो किसी के लिए सिर्फ खड़ी बोले जाना वाला जनपद बिजनौर का निवासी होने के नाते मैं ये बताना चाहता हूं कि बिजनौर में एतिहासिक स्थन व वन्य जीवों के बीच फोटो ग्राफी व घूमने मस्ती करने की बहुत-सी जगहें हैं और खाने के लिए दूध दही मट्ठा के अलावा बहुत कुछ है

चलिए आपको वो वो जगहें बताता हूं जिनके लिए आपको बिजनौर एक बार जरूर घूमने आना चाहिए।बिजनौर देश के अलग अलग हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है आप दिल्ली और जोलीग्रांट एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट ले सकते हैं और अगर आप ट्रेन से आना चाहें तो लगभग सभी राज्यों से बिजनौर नजीबाबाद के लिए ट्रेनें भी मौजूद हैं तो दोस्तों बिजनौ आइए घूमिए और देखिए कि बिजनौर कैसे आपकी यादों में बस जाता हैराजा वेन द्वारा बसाया गया वेननगर बिजनौर का नाम पहले वेन नगर था खड़ी बोलचाल की भाषा में परिवर्तन के कारण वेननगर से विजनगर हुआ और अब आप के सामने बिजनौर है वेननगर के साक्ष्य आज भी खेतों में और खंडहरों के रूप में मिलते हैं

एसा प्रतीत होता है किसी काल मे यह नगर थोड़ी ही दूर से गुजरती गंगा की बाढ़ में काल कल्वित हो गया होगा क्योंकि गंगा बिजनौर के बीचोबीच बहा करती थीबिजनौर से भारत के नामकरण के भी साक्षय मिलते हैं कालीदास के संस्कृत महाकाव्य अभिज्ञान शाकुंतलम में भी बिजनौर का उल्लेख मिलता है राजा दुष्यंत और शकुंतला का मिलन गंगा और मालिनी नदी के मिलन का उल्लेख मिलता है हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत ने पहली बार शकुंतला को मालिनी नदी और गंगा के मिलन पर देखा था और यही दोनों में प्रेम हो गया था
शकुंतला ऋषि कण्व के आश्रम में ही रहती थीं रावली के पास में कण्व ऋषि आश्रम भी है कहा जाता है कि शकुंतला और राजा दुष्यंत के पुत्र भरत ने बचपन में शेर के शावक के दांत गिने थे जो आगे चलकर देश का नाम भारत पड़ा था गंगा घाट पर स्थित विदुर कुटी पर्यटन स्थल के लिहाज से से बहुत काम होना बाकी है

महात्मा विदुर की यह पावन आश्रम स्थली है। महाभारत काल से जोड़कर इसका भव्य इतिहास जब श्रीकृष्ण शांति प्रस्ताव लेकर हस्तिनापुर आए थे तो उन्होंने कोरवों का छप्पन भोग त्यागकर महात्मा विदुर की कुटी में बथुए का साग खाया था साल के 12 महीने यहां बथुआ उगता है जनपद बिजनौर का पांच हजार साल पुराने इतिहास से अवगत कराया जाएगा विदुर भूमि से लेकर अमानगढ़ नवाब नबाजुदोल्ला का पत्थर गढ किला कण्व ऋषि आश्रम मुंशी शहामत अली महारानी विक्टोरिया नांगल थाना स्योहारा थाना मथुरापुर मोर शाहनपुर हल्दौर ताजपुर बिजनौर झालू बढापुर मंडावर नहटौर धामपुर शेरकोट अफजलगढ जिम कार्बेट अमानगढ वन्यजीव अभ्यारण्य जेसी जगहो आदि पर लिखने का प्रयास रहेगा!
