उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार अपराध नियंत्रण को चार साल के अपने कार्यकाल की एक बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं लेकिन महिलाओं से संबंधित अपराध की घटनाएं देश के सबसे बड़े सूबे में आबादी के लिहाज से काफ़ी बढ़ी है छेड़खानी की घटनाओं में इजाफा हुआ है. इस बात की जानकारी नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़े से पता चली है लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश की बेटियां सुरक्षित हुई है. बेटियों को सोशल मीडिया पर बदनाम करने का डर या फिर उनके साथ राह चलते छेड़खानी करी जाए ऐसी घटनाओं में जिस सामाजिक इज्जत के जाने के खौफ से महिलाएं और लड़कियां पुलिस के पास जाकर शिकायत दर्ज कराने से डरते थीं, आज शोहदों के अंदर उसी इज्जत के साथ जाने का डर बैठ गया है.

साल 2017 में एनसीआरबी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ हुए अपराध से संबंधित 56011 मामले दर्ज करें गए थे. साल 2018 में 59445 और 2019 में 59853 महिलाओं के साथ हुए अपराध के मामले दर्ज कराए गए थे. वहीं दूसरी तरफ साल 2018 में 1090 को 2 लाख 66 हजार 5 शिकायतें मिली. साल 2019 में 1090 को 2 लाख 79 हजार 157 शिकायतें दर्ज हुई. साल 2019 में सामने आए मामले तकरीबन 1 लाख 97 हजार 750 मोबाइल फोन और सोशल मीडिया पर करी गई छेड़खानी के मामले है. अगर उत्तर प्रदेश की पुलिस के आंकड़ों पर गौर करा जाए तो साल 2020 में महिलाओं के साथ छेड़खानी के 2441 मामले सामने आए थे. साल 2019 में छेड़खानी के 1857, साल 2018 में 1328, साल 2017 में 993 और साल 2016 में छेड़खानी के 609 मामले दर्ज कराए गए थे इसका मतलब यह है कि 2016 और 2020 के बीच छेड़खानी की घटनाओं में 300.82 फीसदी इजाफा हुआ हैं.

अब आंकड़े चाहे वह मैन पावर के हो या फिर एनसीआरबी के हो सभी में छेड़खानी की घटनाओं को लेकर काफी इजाफा हुआ है लेकिन अफसर का कहना है कि यह इजाफा जागरूकता के कारण आया है. मिशन शक्ति के अभियान की शुरुआत करी गई थी जिसका नतीजा यह निकला कि महिलाओं और कन्याओं ने निडर होकर बिना किसी खौफ के अपनी शिकायतें दर्ज करानी शुरू कर दी. महिलाओं के साथ राह चलती छेड़खानी की घटनाओं पर काफी हद तक लगाम लग गया है लेकिन वर्चुअल वर्ल्ड की अनदेखी दुनिया में हो रही छेड़खानी पर लगाम लगाना शुरूआत में टेढ़ी खीर साबित हुआ है.
